‘छायावादी आलोचना’ के बहाने शोधार्थियों से संवाद
हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित
छायावादी काव्य मानवीय चेतना का सांस्कृतिक राष्ट्रीय आंदोलन है - प्रो शंभूनाथ तिवारी
छायावादी आलोचना के दो स्वरूप दिखाई देते हैं।
एक प्रशंसा का और दूसरा आलोचना का।
प्रशंसा करना और आलोचना दोनों एकांगी दृष्टिकोण हैं।
प्रशंसा करना और आलोचना दोनों एकांगी दृष्टिकोण हैं।
कार्यक्रम का संयोजन शोधार्थी सुनील कुमार यादव ने किया।